Some Myhts & Facts about Homeopathy [ होम्योपैथी से जुड़े कुछ भ्रम व तथ्य ]



रिपोर्टों के अनुसार, होम्योपैथी का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। उन लोगों के अलावा जो नियमित रूप से होम्योपैथी चिकित्सक को पहली पसंद मानते हैं या होम्योपैथी चिकित्सा को पहली पसंद के रूप उपयोग करते हैं ,ऐसे लोग भी हैं जो कभी कभी ही होम्योपैथी का उपयोग कर रहे हैं। बहुत से व्यक्ति होम्योपैथी का उपयोग करने के बारे में सोच भी रहे हैं मगर कुछ अवास्तविक मिथकों और भ्रमों के कारण ऐसा करने में हिचकिचाते हैं। यहाँ हम उनके पीछे के वास्तविक तथ्यों को समझाकर होम्योपैथी के आसपास फैले मिथकों को स्पष्ट करने की कोशिश करेंगे-

मिथक : होम्योपैथी एक अप्रायोगिक और बिना शोध पर आधारित विज्ञान है।
तथ्य : होम्योपैथी प्रयोगात्मक औषधीय और नैदानिक डेटा पर आधारित है। कई वर्षों से होम्योपैथिक दवाओं का बड़े पैमाने पर विभिन्न संकेतो और प्रभावो के आधार पर अध्ययन किया गया है। नैदानिक अध्ययन भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी किया गया है। वास्तव में, शब्द 'एलोपैथी' होम्योपैथी के संस्थापक द्वारा गढ़ा गया था जिन्हें एलौपेथ प्रायोगिक 'औषधी विज्ञान' के संस्थापक के रूप में जानते और मानते हैं 


मिथक : होम्योपैथिक दवाएं केवल चीनी की गोलियां हैं जो केवल दिखावे के रूप में हैं  और इस तरह के रूप में इनका कोई औषधीय मूल्य नहीं है ।
तथ्य: हाँ, इस तरह के रूप में सफेद चीनी की गोलियाँ का कोई भी औषधीय मूल्य नहीं है। लेकिन ये केवल उन दवाओं के लिए वाहक है, जो एल्कोहल पर आधारित हैं। अन्यथा ये दवाए सीधे ले सकते है या पानी में मिला कर इनका उपयोग  किया जा सकता है। होम्योपैथिक दवाओं का वैज्ञानिक रूप से दुनिया भर में अध्ययन किया गया हैं और रोगों की कई विस्तृत श्रृंखला में इन्हें  प्रभावी पाया गया है। इस प्रकार वे दिखावा या मानसिक छलावा नहीं हैं।

मिथक : होम्योपैथी धीमी गति से काम करती है और डायरिया, तेज बुखार, खांसी, सर्दी, आदि गंभीर मामलों में इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
तथ्य: होम्योपैथी गंभीर मामलों में भी तेजी से काम करती है और प्रभावी रूप से संक्रमण, बुखार के उपचार में इस्तेमाल की जा सकती है, दुर्भाग्य से लोग होम्योपैथी का उपचार तब लेते हैं जब गंभीर समस्या और विकट हो जाती हैं। जाहिर है, इन मामलों का इलाज करने के लिए लंबे समय तक दवा लेनी पड़ती हैं। इसके अलावा ज्यादातर लोग गठिया, एलर्जी,अस्थमा या त्वचा के संक्रमण की स्थिति में, होम्योपैथी का सहारा लेते हैं जो दवाओं की किसी भी अन्य प्रणाली के साथ इलाज करवाने में भी लंबा समय लेंगी।

मिथक : होम्योपैथी एक 'जादूई उपचार' है जो किसी भी बीमारी का इलाज कर सकता है।
तथ्य: होम्योपैथी की भी दवा के किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह, अपनी सीमाएं हैं। उदाहरण के लिए जिन मामलों में सर्जरी अपरिहार्य (Compulsory) है या दंत चिकित्सा के मामलों में होम्योपैथी इलाज नहीं कर सकती

मिथक : होम्योपैथिक डॉक्टर नीम हकीमों की तरह हैं जिन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं होता।
तथ्य: केवल प्रशिक्षित और योग्य डॉक्टर ही होम्योपैथी का अभ्यास दुनिया के अधिकांश भागों में कर रहे हैं । केवल भारत में ही 180 से अधिक मेडिकल कॉलेज हैं जो होम्योपैथी में डिग्री और स्नातकोत्तर अध्ययन की पेशकश कर रहे हैं। वर्तमान में देश में 2,00,000 से अधिक प्रशिक्षित होमियोपैथ डॉक्टर्स हैं।

मिथक : होम्योपैथिक उपचार के दौरान सख्त आहार प्रतिबंधों का पालन करना पड़ता है।
तथ्य: कुछ रोगियों को उपचार के दौरान प्याज, लहसुन, कॉफी, चाय, शराब आदि के सेवन से मना किया जाता हैं क्यूकी ये कुछ दवाओ के असर को कम कर देते हैं | परन्तु सभी दवाओ के साथ ऐसा नहीं होता | प्याज, लहसुन, कॉफी, चाय (कुछ लोग तो किसी भी प्रकार की खुशबू से भी दूर रहने की सलाह देते हैं ) का सेवन भी सामान्य रूप से कर सकते हैं | लेकिन  शराब और तंबाकू पर प्रतिबन्ध तो सुरक्षित और स्वस्थ है।

मिथक : होम्योपैथी केवल पुराने मामलों में ही उपयोगी है।
तथ्य: अधिकतर मामलो में हाँ ; यह है | लेकिन इस धारणा के पीछे असली कारण यह है कि जब सब कुछ नाकाम हो जाता है तब ही लोग होम्योपैथी को अपनाते हैं ! एलोपैथिक के वर्षो के उपचार के बाद अक्सर बीमारी पुरानी और जटिल हो जाती है। ऐसे में होम्योपैथी उपचार में अब स्वाभाविक रूप से लंबा समय लगेगा, जो की शुरू से ही होम्योपैथी उपचार लेने की अवस्था में कम लगता ।

मिथक : होम्योपैथी का मधुमेह के रोगियों के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
तथ्य: कर सकते हैं !  Sugar Globuli (छोटी छोटी गोलियां) में शुगर बहुत कम होता हैं और उनके दैनिक उपयोग से भी फर्क नहीं पड़ता। दैनिक आहार की तुलना में  Sugar Globuli में शुगर की मात्रा न के बराबर होती है। मधुमेह के बहुत अधिक गंभीर मामलों में भी, दवा पानी में या बूंदों के रूप में ली जा सकती  है।

मिथक : होम्योपैथ सभी बीमारियो के लिए एक ही तरह की सफेद गोलिया देता है। वे कैसे प्रभावी हो सकती है?
तथ्य: दवा का प्रभाव बीमारी और उसके लक्षणों पर निर्भर करता है। चीनी गोलियों केवल दवा के हस्तांतरण के लिए एक वाहन के रूप में कार्य करती हैं। होम्योपैथी चिकित्सा में 1200 से अधिक विभिन्न dilutions हैं जो की विभिन्न व्यक्तिगत समस्याओं के अनुसार अलग अलग दी जाती हैं।

मिथक : वास्तव में होम्योपैथिक दवा का कोई साइड इफेक्ट नही होता ?
तथ्य: आम तौर पर 3CH और उससे ऊपर की Potency वाली होम्योपैथिक दवा का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता हैं। हालांकि, कुछ टिंचर और बहुत कम पोटेंसी जैसे 1x,2x कुछ साइड इफेक्ट है, लेकिन वे भी न के बराबर ।

और आखिर में महात्मा गाँधी के कथन के साथ आज की बात खत्म करते हैं -



साभार Schwabe India से हिंदी रूपांतरण

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