[Get Rs.50 Lakhs Insurance on LPG] LPG गैस सिलेंडर पर होता है 50 लाख का बीमा, जानिए कैसे

रसोई गैस से छुपे कई ऐसे तथ्य हैं जो डिस्ट्रीब्यूटर्स उपभोक्ताओं को नहीं बताते हैं। दरअसल, सिलेंडर खरीदते वक्त ही उसका बीमा यानी कि इन्श्योरेंस हो जाता है और ये बीमा 1-2 लाख का नहीं बल्कि 50 लाख रुपए तक का होता है। गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा हो जाता है। इसके तहत गैस सिलेंडर से हादसा होने पर पीड़ित इन्श्योरेंस का क्लेम कर सकता है। इसके उलट सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक देने का कानूनन प्रावधान है। है न हैरानी की बात। बता दें कि सिलेंडर का बीमा का ताल्लुक उसकी एक्सपायरी से जुड़ा होता है। सामान्यतया लोग सिलेंडर की एक्सपायरी डेट की जांच किए बिना ही खरीद लेते हैं। जबकि सिलेंडर की एक्सपायरी भी होती है, इसकी जानकारी भी डिस्ट्रीब्यूटर्स नहीं देते। 


यह है एक्सपायरी डेट की पहचान करने का तरीका -

सिलेंडर के ऊपर जो तीन पट्टी होती हैं, उनमें ए, बी, सी और डी में से एक लेटर के साथ नंबर होता है। गैस कंपनियां 12 महीनों को चार हिस्सों में बांटकर सिलेंडर्स का ग्रुप बनाती हैं - '
A ग्रुप में जनवरी, फरवरी, मार्च
B ग्रुप में अप्रैल, मई, जून 
C ग्रुप में जुलाई, अगस्त, सितंबर 
D ग्रुप में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर होते हैं
सिलेंडर्स पर इन ग्रुप लेटर के साथ लिखे नंबर एक्सपायरी या टेस्टिंग ईयर दर्शाते हैं। जैसे- 'बी-12' का मतलब सिलेंडर की एक्सपायरी डेट जून, 2012 है। ऐसे ही, 'सी-12' का मतलब सितंबर, 2012 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल खतरनाक है। 
एक्सपायर्ड सिलेंडर मिलने पर उपभोक्ता एजेंसी को सूचना देकर सिलेंडर रिप्लेस करवा सकते हैं। गैस एजेंसी के रिप्लेसमेंट से मना करने पर खाद्य या प्रशासनिक अधिकारी से शिकायत भी कर सकते हैं। इतना ही नहीं उपभोक्ता इसे सेवा में कमी मानते हुए, उपभोक्ता फोरम में मामला तक दायर करवाने का अधिकार रखता है।

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